Rovio Startup Success Story
2009 में रोविओ एंटरटेनमेंट बंद होने की कगार पर आ गई थी। कंपनी ने स्टाफ 50 से घटाकर 12 कर दिया था। कंपनी के बनाए कई गेमिंग एप फ्लॉप हो चुके थे। फिर एक आखिरी प्रयास ने कंपनी को रातो–रात प्रसिद्ध बना दिया। यह था एंग्री बडर्स। सिर्फ तीन दिन में ही गेम इतना ज्यादा डाउनलोड किया गया कि यह नंबर वन डाउनलोडेड गेम बन गया। इसके पहले मोस्टडाउनलोडेड की लिस्ट में 600वें नंबर था।
2003 में निकोलस हेड ने अपने दोस्तों के साथ हेलसिंकी विश्वविद्यालय की मल्टीप्ल्येयर मोबाइल गेम बनाने की एक प्रतियोगिता जीती थी। तब वे 29 साल के थे। इसके बाद से ही वे एक गेमिंग कंपनी स्थापित करने की योजना बना रहे थे। यह विचार अपने चचेरे भाई माइकल हेड के साथ साझा किया। निकोलस ने ज्यादा इंतजार न करते हुए 2004 में रिल्यूड कंपनी बनाई। यही कंपनी 2005 में रोविओ बनी और उनके भाई माइकल कंपनी में चीफ एग्जीक्यूटिव के रूप में शामिल हुए। काम शुरू हुआ, लेकिन फंड की बहुत कमी थी। फिर माइकल के पिता से मदद मिली। वे सफल आंत्रप्रेन्योर थे। निकलस और माइकल ने उन्हें अपने स्टार्टअप में एक मिलियन यूरो निवेश करने के लिए राजी कर लिया था।
काम शुरू तो हुआ, लेकिन माइकल और उनके पिता कंपनी की दिशा से सहमत नहीं थे। माइकल के निजी जीवन में कुछ उथल–पुथल मची हुई थी। इसलिए एक साल बाद माइकल ने कंपनी छोड़ दी। इसके बाद कंपनी लगातार कमजोर पड़ती जा रही थी, लेकिन निकोलस लगे रहे। कंपनी ईए, नामको और रियल नेटवर्क्स जैसी कंपनियों के लिए गेम्स डेवलप कर रही थी। कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लग रही थी ।
निकोलस के पास अपने प्रोडक्टस के लिए कोई मार्केटिंग पॉलिसी नहीं थी। डिस्ट्रीब्यूशन कमजोर था। 2006 में कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई थी। खर्च कम करने के लिए निकोलस स्टाफ की संख्या घटाकर 12 पर ला चुके थे। फिनलैंड में तब फिजिकल गेमिंग का दौर चल रहा था, जिसमें असली दुनिया की ताकत होती थी। कार्टून जैसे धमाके और गति पसंद नहीं किए जाते थे। ऑनलाइन गेम पॉपुलर थे, लेकिन कोई भी सरल और मोबाइल फोन में चलने वाले गेम नहीं बना रहा था। इसी दौरान स्टीव जॉब्स ने आईफोन लॉन्च किया था। इधर निकोलस माइकल को फिर से कंपनी में ले आए थे। दोनों ने मिलकर कंपनी को बचाने के लिए प्लान बनाया। वे लगातार बड़े डेवलपर्स पर नजर रख रहे थे। सारा काम छोड़कर बड़ा जोखिम लेने की स्थिति नहीं थी। इसलिए कंपनी अपना नियमित काम करती रही। दोनों बचा हुआ पूरा समय आईफोन के लिए मोबाइल गेम डेवलप करने पर दे रहे थे। माइकल ने इस प्रोजेक्ट के लिए 25 हजार यूरो का बजट रखा था। और आखिर में जब प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो एंग्री बर्ड की लागत इससे चार गुना ज्यादा रही थी।
रोविओ की चीफ डिजाइनर जैको लिसालो नए प्रोजेक्ट के लिए सैकड़ों कैरेक्टर्स के स्केच बना चुके थे। आखिर मार्च 2009 में उन्होंने एक बर्ड बनाया, जिसकी नाक पर गुस्सा सवार था। इस पक्षी में कुछ खास था जो सभी को चौंका रहा था। निकलस ने पहली बार जब एंग्री बडर्स देखा तो उनकी इच्छा हुई मुझे यह गेम खेलना है। दिसंबर 2009 की छुट्टियों में यह गेम जारी हुआ। पहले तीन महीनों में कुछ होता नजर नहीं आ रहा था। लग रहा था कि यह कंपनी को एक और फ्लॉप प्रोडक्ट है। फिर फरवरी 2010 में एपल इस गेम को अपने एप स्टोर के फ्रंट पेज पर लाने के लिए राजी हो गया और देखते ही देखते एंग्री बडर्स दुनियाभर में छा गया। इतना कि इसे कार्टुन कैरेक्टर मिकी माउस के समान पॉपुलर कहा जाने लगा। इसके बाद राविओ को 42 बिलियन डॉलर की फंडिंग मिल गई। माइकल और निकोलस ने इसका इस्तेमाल नए मार्केट की तलाश और एंग्री बडर्स को एक ब्रैंड की तरह स्थापित करने में किया।
आज एंग्री बडर्स बहु आयामी इंटरटेनमेंट हाउस बन चुका है। कंपनी एंग्री बडर्स नाम से कई उत्पाद भी बेचती है। कंपनी स्टोरी, कॉमिक, एक्टिविटी और लर्निंग बुक्स भी प्रकाशित करती है। इसके फ़िनलैंड के अलावा चीन, स्वीडन, अमेरिका यूके और जापान में ऑफिस है।