BHERU LAL GAMETI

Life is so Beautiful, Don't waste Enjoy It.

Wednesday 15 August 2018

Angry Birds Success Story | Rovio startup story Hindi


Rovio Startup Success Story

2009 में रोविओ एंटरटेनमेंट बंद होने की कगार पर आ गई थी। कंपनी ने स्टाफ 50 से घटाकर 12 कर दिया था। कंपनी के बनाए कई गेमिंग एप फ्लॉप हो चुके थे। फिर एक आखिरी प्रयास ने कंपनी को रातो–रात प्रसिद्ध बना दिया। यह था एंग्री बडर्स। सिर्फ तीन दिन में ही गेम इतना ज्यादा डाउनलोड किया गया कि यह नंबर वन डाउनलोडेड गेम बन गया। इसके पहले मोस्टडाउनलोडेड की लिस्ट में 600वें नंबर था।  

    2003 में निकोलस हेड ने अपने दोस्तों के साथ हेलसिंकी         विश्वविद्यालय की मल्टीप्ल्येयर मोबाइल गेम बनाने      की   एक प्रतियोगिता जीती थी। तब वे 29 साल के थे। इसके   बाद से ही वे एक गेमिंग कंपनी स्थापित करने की योजना    बना रहे थे। यह विचार अपने चचेरे भाई माइकल हेड के साथ    साझा किया। निकोलस ने ज्यादा इंतजार न करते हुए 2004    में रिल्यूड कंपनी बनाई। यही कंपनी 2005 में रोविओ बनी और उनके भाई माइकल कंपनी में चीफ एग्जीक्यूटिव के रूप में शामिल हुए। काम शुरू हुआ, लेकिन फंड की बहुत कमी थी। फिर माइकल के पिता से मदद मिली। वे सफल आंत्रप्रेन्योर थे। निकलस और माइकल ने उन्हें अपने स्टार्टअप में एक मिलियन यूरो निवेश करने के लिए राजी कर लिया था। 
काम शुरू तो हुआ, लेकिन माइकल और उनके पिता कंपनी की दिशा से सहमत नहीं थे। माइकल के निजी जीवन में कुछ उथल–पुथल मची हुई थी। इसलिए एक साल बाद माइकल ने कंपनी छोड़ दी। इसके बाद कंपनी लगातार कमजोर पड़ती जा रही थी, लेकिन निकोलस लगे रहे। कंपनी ईए, नामको और रियल नेटवर्क्स जैसी कंपनियों के लिए गेम्स डेवलप कर रही थी। कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लग रही थी । 

निकोलस के पास अपने प्रोडक्टस के लिए कोई मार्केटिंग पॉलिसी नहीं थी। डिस्ट्रीब्यूशन कमजोर था। 2006 में कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई थी। खर्च कम करने के लिए निकोलस स्टाफ की संख्या घटाकर 12 पर ला चुके थे। फिनलैंड में तब फिजिकल गेमिंग का दौर चल रहा था, जिसमें असली दुनिया की ताकत होती थी। कार्टून जैसे धमाके और गति पसंद नहीं किए जाते थे। ऑनलाइन गेम पॉपुलर थे, लेकिन कोई भी सरल और मोबाइल फोन में चलने वाले गेम नहीं बना रहा था। इसी दौरान स्टीव जॉब्स ने आईफोन लॉन्च किया था। इधर निकोलस माइकल को फिर से कंपनी में ले आए थे। दोनों ने मिलकर कंपनी को बचाने के लिए प्लान बनाया। वे लगातार बड़े डेवलपर्स पर नजर रख रहे थे। सारा काम छोड़कर बड़ा जोखिम लेने की स्थिति नहीं थी। इसलिए कंपनी अपना नियमित काम करती रही। दोनों बचा हुआ पूरा समय आईफोन के लिए मोबाइल गेम डेवलप करने पर दे रहे थे। माइकल ने इस प्रोजेक्ट के लिए 25 हजार यूरो का बजट रखा था। और आखिर में जब प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो एंग्री बर्ड की लागत इससे चार गुना ज्यादा रही थी। 

रोविओ की चीफ डिजाइनर जैको लिसालो नए प्रोजेक्ट के लिए सैकड़ों कैरेक्टर्स के स्केच बना चुके थे। आखिर मार्च 2009 में उन्होंने एक बर्ड बनाया, जिसकी नाक पर गुस्सा सवार था। इस पक्षी में कुछ खास था जो सभी को चौंका रहा था। निकलस ने पहली बार जब एंग्री बडर्स देखा तो उनकी इच्छा हुई मुझे यह गेम खेलना है। दिसंबर 2009 की छुट्टियों में यह गेम जारी हुआ। पहले तीन महीनों में कुछ होता नजर नहीं आ रहा था। लग रहा था कि यह कंपनी को एक और फ्लॉप प्रोडक्ट है। फिर फरवरी 2010 में एपल इस गेम को अपने एप स्टोर के फ्रंट पेज पर लाने के लिए राजी हो गया और देखते ही देखते एंग्री बडर्स दुनियाभर में छा गया। इतना कि इसे कार्टुन कैरेक्टर मिकी माउस के समान पॉपुलर कहा जाने लगा। इसके बाद राविओ को 42 बिलियन डॉलर की फंडिंग मिल गई। माइकल और निकोलस ने इसका इस्तेमाल नए मार्केट की तलाश और एंग्री बडर्स को एक ब्रैंड की तरह स्थापित करने में किया।

आज एंग्री बडर्स बहु आयामी इंटरटेनमेंट हाउस बन चुका है। कंपनी एंग्री बडर्स नाम से कई उत्पाद भी बेचती है। कंपनी स्टोरी, कॉमिक, एक्टिविटी और लर्निंग बुक्स भी प्रकाशित करती है। इसके फ़िनलैंड के अलावा चीन, स्वीडन, अमेरिका यूके और जापान में ऑफिस है

Ashish Hemrajani BookmyShow Success Story in hindi


Inspirational real life stories for businessman

Ashish Hemrajani
मूवी टिकट की बिक्री में करोड़ों का बिजनेस
कंपनी : बिग ट्री एंटरटेनमेंट
क्या खास : ऑनलाइन एंटरस्टेनमेंट टिकटिंग की शुरुआत
मुंबई यूनिवर्सिटी से एमबीए के बाद आशीष का अगला पड़ाव था नौकरी। 1997 में एडवरटाइजिंग कंपनी हिंदुस्तान थॉमसन एसोसिएट के साथ उन्होंने अपने कॅरिअर की शुरुआत की। इसी दौरान आशीष का दक्षिण अफ्रीका जाना हुआ। यहां इंटरनेट के माध्यम से मिलने वाली सुविधाओं से प्रभावित होकर 24 साल के आशीष के मन में नए – नए आइडिया आने लगे। जिनके चलते उन्होंने यहां फ़ैनडैंगो और टिकटमास्टर जैसी इंटरनेशनल टिकटिंग कंपनियों की वेबसाइट खंगाली। अफ्रीका से लौटते हुए पूरे सफर के दौरान आशीष इन्हीं आइडियाज के बारे में सोचते रहे।
मुश्किल चुनौती, मजबूत इरादे- 
आशीष ने अपने देश में टेलीफोन और इंटरनेट के जरिए मूवी के टिकट बेचने का फैसला लिया और इसके लिए नौकरी छोड़ दी। यह वह दौर था जब सिनेमा के टिकट बेचना अच्छा नहीं समझा जाता था। ऐसे में यह फैसला लेना काफी मुश्किल था, चुनौतियों के बावजूद उन्होने 1999 में बिग ट्री एंटरटेनमेंट की स्थापना की। इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए आशीष ने अपने बिजनेस प्लान के बारे में बताते हुए चेज़ कैपिटल को एक ईमेल भेजा, करीब सात दिन बाद वहां से जवाब आया और आधा मिलियन डॉलर की फंडिंग के निवेश के साथ उन्होनें कारोबार की शुरुआत की। इस दौरान देश कम्प्यूटर से परिचय ही कर रहा था, कम लोगों के पास क्रेडिट कार्ड हुआ करते थे और नेट बैंकिंग से तो कोई भी वाकिफ नहीं था। दूसरी परेशानी यह थी कि यहां थिएटरों और सिंगल स्क्रीन्स में ई-टिकटिंग सॉफ्टवेयर का अभाव था, ऐसे में आशीष पहले थिएटरों से बड़ी मात्रा में टिकट खरीदते और फिर कस्टमर्स को उपलब्ध करवाते थे।
बिग ट्री से बुक माय शो- 
तमाम चुनौतियों के बीच आशीष ने हिम्मत नहीं हारी। 2001 में बिग ट्री के पास 160 कर्मचारियों की टीम तैयार हो चुकी थी कि तभी डॉट कॉम ठप्प पड़ गया। इससे उबरने के लिए आशीष को सख्त कदम भी उठाने पड़े। लगातार कोशिशों के बल पर उन्होने कंपनी को संकट के दौर से निकाला और 2002-04 में कंपनी को सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन प्रोवाइडर का दर्जा दिलाया, जो थिएटरों को ऑटोमेटेड टिकटिंग सॉफ्टवेयर प्रदान करती है। 2007 में आशीष ने बिग ट्री को बुक माय शो के नाम से रीलॉन्च किया। आज बुक माय शो 1000 करोड़ के वैल्यूएशन क्लब में शामिल हो गया है और कंपनी ने ऑनलाइन एंटरटेनमेंट टिकटिंग का 90 फीसदी से ज्यादा बिजनेस अपने नाम कर लिया है।

Monday 6 August 2018

Secret of Success – सफ़लता का रहस्य


एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?
सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया.

लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”
सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.

दोस्तो जब हम अपनी जिंदगी में किसी एक चीज को पूरी शिद्दत से चाहते हैं तो हमारे दिमाग में हमारी यह शिद्दत इतनी intensity पैदा कर देती है की हमारा हर काम उसी एक चीज को पाने के मकसद से होने लगता है |

इसलिए अगर जीवन में सफ़ल होना चाहते हो तो सफ़लता तो अपना एक मात्र मकसद बना लो, हर समय दिमाग में सफ़लता के ही विचार आने चाहिए फिर वो दिन दूर नहीं जब आपको ये सफ़लता मिलेगी ही मिलेगी |



What is the greatest strength -Motivational Story in Hindi

जापान के एक छोटे से कसबे में रहने वाले दस वर्षीय ओकायो को जूडो सीखने का बहुत शौक था . पर बचपन में हुई एक दुर्घटना में बायाँ हाथ कट जाने के कारण उसके माता -पिता उसे जूडो सीखने की आज्ञा नहीं देते थे . पर अब वो बड़ा हो रहा था और उसकी जिद्द भी बढती जा रही थी .
अंततः माता -पिता को झुकना ही पड़ा और वो ओकायो को नजदीकी शहर के एक मशहूर मार्शल आर्ट्स गुरु के यहाँ दाखिला दिलाने ले गए .
गुरु ने जब ओकायो को देखा तो उन्हें अचरज हुआ कि , बिना बाएँ हाथ का यह लड़का भला जूडो क्यों सीखना चाहता है ?
उन्होंने पूछा , “ तुम्हारा तो बायाँ हाथ ही नहीं है तो भला तुम और लड़कों का मुकाबला कैसे करोगे .”

“ ये बताना तो आपका काम है” ,ओकायो ने कहा . मैं तो बस इतना जानता हूँ कि मुझे सभी को हराना है और एक दिन खुद “सेंसेई” (मास्टर) बनना है ”

गुरु उसकी सीखने की दृढ इच्छा शक्ति से काफी प्रभावित हुए और बोले , “ ठीक है मैं तुम्हे सीखाऊंगा लेकिन एक शर्त है , तुम मेरे हर एक निर्देश का पालन करोगे और उसमे दृढ विश्वास रखोगे .”

ओकायो ने सहमती में गुरु के समक्ष अपना सर झुका दिया .
गुरु ने एक साथ लगभग पचास छात्रों को जूडो सीखना शुरू किया . ओकायो भी अन्य लड़कों की तरह सीख रहा था . पर कुछ दिनों बाद उसने ध्यान दिया कि गुरु जी अन्य लड़कों को अलग -अलग दांव -पेंच सीखा रहे हैं लेकिन वह अभी भी उसी एक किक का अभ्यास कर रहा है जो उसने शुरू में सीखी थी . उससे रहा नहीं गया और उसने गुरु से पूछा , “ गुरु जी आप अन्य लड़कों को नयी -नयी चीजें सीखा रहे हैं , पर मैं अभी भी बस वही एक किक मारने का अभ्यास कर रहा हूँ . क्या मुझे और चीजें नहीं सीखनी चाहियें ?”

गुरु जी बोले , “ तुम्हे बस इसी एक किक पर महारथ हांसिल करने की आवश्यकता है ” और वो आगे बढ़ गए.

ओकायो को विस्मय हुआ पर उसे अपने गुरु में पूर्ण विश्वास था और वह फिर अभ्यास में जुट गया .

समय बीतता गया और देखते -देखते दो साल गुजर गए , पर ओकायो उसी एक किक का अभ्यास कर रहा था . एक बार फिर ओकायो को चिंता होने लगी और उसने गुरु से कहा , “ क्या अभी भी मैं बस यही करता रहूँगा और बाकी सभी नयी तकनीकों में पारंगत होते रहेंगे ”

गुरु जी बोले , “ तुम्हे मुझमे यकीन है तो अभ्यास जारी रखो ”

ओकायो ने गुरु कि आज्ञा का पालन करते हुए बिना कोई प्रश्न पूछे अगले 6 साल तक उसी एक किक का अभ्यास जारी रखा .
सभी को जूडो सीखते आठ साल हो चुके थे कि तभी एक दिन गुरु जी ने सभी शिष्यों को बुलाया और बोले ” मुझे आपको जो ज्ञान देना था वो मैं दे चुका हूँ और अब गुरुकुल की परंपरा के अनुसार सबसे अच्छे शिष्य का चुनाव एक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से किया जायेगा और जो इसमें विजयी होने वाले शिष्य को “सेंसेई” की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा.”
गुरु जी ओकायो को उसके पहले मैच में हिस्सा लेने के लिए आवाज़ दी .

ओकायो ने लड़ना शुर किया और खुद को आश्चर्यचकित करते हुए उसने अपने पहले दो मैच बड़ी आसानी से जीत लिए . तीसरा मैच थोडा कठिन था , लेकिन कुछ संघर्ष के बाद विरोधी ने कुछ क्षणों के लिए अपना ध्यान उस पर से हटा दिया , ओकायो को तो मानो इसी मौके का इंतज़ार था , उसने अपनी अचूक किक विरोधी के ऊपर जमा दी और मैच अपने नाम कर लिया . अभी भी अपनी सफलता से आश्चर्य में पड़े ओकयो ने फाइनल में अपनी जगह बना ली .

इस बार विरोधी कहीं अधिक ताकतवर, अनुभवी और विशाल था . देखकर ऐसा लगता था कि ओकायो उसके सामने एक मिनट भी टिक नहीं पायेगा .

सबसे बड़ी ताकत

मैच शुरू हुआ , विरोधी ओकायो पर भारी पड़ रहा था , रेफरी ने मैच रोक कर विरोधी को विजेता घोषित करने का प्रस्ताव रखा , लेकिन तभी गुरु जी ने उसे रोकते हुए कहा , “ नहीं , मैच पूरा चलेगा ”

मैच फिर से शुरू हुआ .
विरोधी अतिआत्मविश्वास से भरा हुआ था और अब ओकायो को कम आंक रहा था . और इसी दंभ में उसने एक भारी गलती कर दी , उसने अपना गार्ड छोड़ दिया !! ओकयो ने इसका फायदा उठाते हुए आठ साल तक जिस किक की प्रैक्टिस की थी उसे पूरी ताकत और सटीकता के साथ विरोधी के ऊपर जड़ दी और उसे ज़मीन पर धराशाई कर दिया . उस किक में इतनी शक्ति थी की विरोधी वहीँ मुर्छित हो गया और ओकायो को विजेता घोषित कर दिया गया .

मैच जीतने के बाद ओकायो ने गुरु से पूछा ,” सेंसेई , भला मैंने यह प्रतियोगिता सिर्फ एक मूव सीख कर कैसे जीत ली ?”
“ तुम दो वजहों से जीते ,” गुरु जी ने उत्तर दिया . “ पहला , तुम ने जूडो की एक सबसे कठिन किक पर अपनी इतनी मास्टरी कर ली कि शायद ही इस दुनिया में कोई और यह किक इतनी दक्षता से मार पाए , और दूसरा कि इस किक से बचने का एक ही उपाय है , और वह है वोरोधी के बाएँ हाथ को पकड़कर उसे ज़मीन पर गिराना .”
ओकायो समझ चुका था कि आज उसकी सबसे बड़ी कमजोरी ही उसकी “सबसे बड़ी ताकत” बन चुकी थी .

मित्रों human being होने का मतलब ही है imperfect होना. Imperfection अपने आप में बुरी नहीं होती, बुरा होता है हमारा उससे deal करने का तरीका. अगर ओकायो चाहता तो अपने बाएँ हाथ के ना होने का रोना रोकर एक अपाहिज की तरह जीवन बिता सकता था, लेकिन उसने इस वजह से कभी खुद को हीन नहीं महसूस होने दिया. उसमे अपने सपने को साकार करने की दृढ इच्छा थी और यकीन जानिये जिसके अन्दर यह इच्छा होती है भगवान उसकी मदद के लिए कोई ना कोई गुरु भेज देता है, ऐसा गुरु जो उसकी सबसे बड़ी कमजोरी को ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बना उसके सपने साकार कर सकता है.

Friday 3 August 2018

Why Youngsters Fail in Life – Motivational story in Hindi


हम अपनी जिंदगी कई टारगेट फिक्स करते पर वास्तव में होता क्या है की जहा हमे उन टारगेट की और बढ़ना होता है और हम उनसे उतना ही दूर चलते जाते है जिससे होता ये है की हमारे पास पछतावे के सिवा  और कोई रास्ता नहीं होता है जिसका सबसे बड़ा कारण है लाइफ की कुछ गलतिया जो शायद हमे उस समय हमारा सही फैसला लगता है पर जब हम आगे निकल जाते है तब हमे उन गलतियों का अहसास होता है। सक्सेस और फैलियर में ज्यादा फर्क नहीं है बस कुछ चीज़े होती है जो आपको दोनो में फर्क बताती है।  
इस बात को आप इस कहानी से और अच्छे से समझ पायेंगे।


– हम लोग सपने देखते हैं.


– टारगेट सेट करते हैं.


– पैसा और टाइम इन्वेस्ट करते हैं.


– हमारे इरादे भी मजबूत होते हैं.


और उसे पाने के लिए बहुत मेहनत भी करते हैं. लेकिन फिर भी सक्सेसफुल नहीं हो पाते.

आप समझ जायेंगे की आपके साथ ऐसा क्यूँ होता है.

एक 20-22 साल का लड़का सामान लेकर किसी स्टेशनपर उतरा।

उसनेँ एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है।

टैक्सी वाले नेँ कहा- 100 रुपये लगेँगे।

लड़के ने किसी से सुन रखा था की साईं मंदिर स्टेशन से 4-5 km ही दूर है

सो अपना सामान पीठ पर लाद कर वो जोश जोश में चल पड़ा

काफी दूर आने के बाद उसे फिर वहीँ टेक्सी वाला दिखाई दिया और उसने पूछा

भैया अब तो मैं बहुत दूर आ गया हूँ अब कितने रूपए लोगे

टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- 200 रुपये।

लड़के ने गुस्से में कहा- पहले 100 रुपये, अब 200 रुपये, ऐसा क्योँ।

टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- महोदय, इतनी देर से आप साईँ मंदिर की विपरीत दिशा मेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँ मँदिर तो दुसरी तरफ है।

अब बेचारे लड़के ने कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप टैक्सी मेँ बैठ गया।

यहीं होता है हमारे साथ जिंदगी में

हम लोग टारगेट सेट कर लेते हैं और उसे पाने के लिए बिना सही प्लान बनाये या बिना किसी की सलाह लिए चलना शुरू कर देते हैं

और जब तक हमें ये अहसास होता है की हम गलत ट्रैकपर हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है

हमेशा एक बात याद रखेँ कि दिशा सही होनेँ पर ही मेहनत पूरा रंग लाती हैऔर यदि दिशा ही गलत हो तो आप कितनी भी मेहनत का कोई लाभ नहीं मिल पायेगा।

जिस फील्ड में आप जाना चाहते हैं उस फील्ड के सक्सेसफुल लोगों से मिलिए, उनके बारे में पढ़िए

पूरी रिसर्च कीजिये और फिर अपने कदम आगे बढ़ायो

एक बार सही दिशा मिल गयी तो आपको सक्सेसफुल होने से कोई नहीं रोक सकता.


Hobbies और अपने Passion के बीच का फर्क समझे


Amazon के फाउंडर और दुनिया के सबसे अमीर इंसान जेफ़ बेजोइस ने एक बार कॉलेज स्टूडेंट्स को लेक्चर देते हुए कहा था की – अक्सर लोग इसलिए असफ़ल हो जाते है क्यूं कि लोग अपनी Hobbies और अपने Passion के बीच में फर्क नहीं कर पाते, लोगों को लगता है की जो काम करना उन्हें अच्छा लगता है वहीँ उनका पैशन बन सकता है, जबकि सच ये हैं की हम अपने पैशन को नहीं चुनते हमारा पैशन हमें चुनता है. Hobbies हमेशा बदलती रहती हैं इसलिए लोग जब अपनी Hobbies के according काम करते हैं तो कुछ टाइम बाद वो अपने काम से बोर होने लगते हैं, इसी वजह से आज हम लोगों को यहाँ से वहां भागते हुए देखते हैं.

Hobbies और अपने Passion के बीच का फर्क समझे   असल में आज के इस दौर में लोगों को जो भी काम आसान लगता है और जिसमे उन्हें लगता है की जल्दी पैसा आ सकता है – उसे लोग अपना पैशन बनाने की कोशिश करने लगते हैं जबकि Passion वो चीज है जिसका कनेक्शन सीधे आपके दिल से जुड़ा होता है, अगर आप किसी काम को लेकर बिलकुल पैशनेट हैं तो फिर इस बात से आपको बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ेगा की आप उस काम में कितना वक्त दें रहे हैं, जितना आप उसे करते जायेंगे उतना ही आपको उसमे मजा आता जायेगा, जैसे जैसे उसमे मुश्किलें बढ़ेंगी आपकी उसे पूरा करना का जूनून भी बढ़ता जायेगा


जबकि Hobbies को करते वक्त जैसे जैसे मुश्किलें बढती हैं और टाइम बीतता है हमारा जूनून कम होता जाता है .
इसके आगे जेफ़ बेजोइस कहते हैं की अगर आप इनोवेटिव होना चाहते हैं तो फ़ैल होने के लिए तयार रहिये, क्यूंकि कोई भी इनोवेशन तभी हो सकती है जब उसमे आप बार बार फ़ैल फ़ैल होते हैं. ये फेलियर आपको हर बार एक नया रास्ता एक नया तरीका खोजने पर मजबूर करते हैं और यहीं वो एक मात्र तरीका है जो आपको आपके Passion से रूबरू करवाता है. इसलिए हमेशा कुछ इनोवेटिव प्रयास करते रहिये और ये आपको एक दिन आपके पैशन से रूबरू करवा देंगे.

और ऐसा करते करते अंत में जब आप कामयाब होते हैं तो एक बिलकुल नया इनोवेशन दुनिया के सामने आता है , जिसे लोग हाथों हाथ स्वीकार करते हैं, और आपका भाग्य बदल जाता है.

Thursday 2 August 2018

ये 3 Motivational Stories in Hindi बदल देगीं आपकी जिंदगी

हौंसला बढ़ाने वाली ये तीन Inspiring Motivational Stories in Hindi आपको निराशा से निकालकर सफलता की ओर ले जायेंगी|
सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीज़ें आपके विरोध में हो रहीं हों और हर तरफ से निराशा मिल रही हो| चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं जहाँ सब कुछ ग़लत हो रहा होता है| अब चाहे ये कोई सॉफ्टवेर हो सकता है जिसे सभी ने रिजेक्ट कर दिया हो, या आपका कोई फ़ैसला हो सकता है जो बहुत ही भयानक साबित हुआ हो |
Herny Ford Quotes in Hindi on Success
लेकिन सही मायने में, विफलता सफलता से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है | हमारे इतिहास में जितने भी बिजनिसमेन, साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं | जब हम बहुत सारे कम कर रहे हों तो ये ज़रूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा| लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ देंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते |
हेनरी फ़ोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फ़ोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं | सफल बनने से पहले फ़ोर्ड पाँच अन्य बिज़निस मे फेल हुए थे | कोई और होता तो पाँच बार अलग अलग बिज़निस में फेल होने और कर्ज़ मे डूबने के कारण टूट जाता| लेकिन फ़ोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज एक बिलिनेअर कंपनी के मलिक हैं |
अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सबसे पहले आता है| लाइट बल्व बनाने से पहले उसने लगभग 1000 विफल प्रयोग किए थे |
अल्बेर्ट आइनस्टाइन जो 4 साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पता था और 7 साल की उम्र तक निरक्षर था | लोग उसको दिमागी रूप से कमजोर मानते थे लेकिन अपनी थ्ओरी और सिद्धांतों के बल पर वो दुनिया का सबसे बड़ा साइंटिस्ट बना |
अब ज़रा सोचो कि अगर हेनरी फ़ोर्ड पाँच बिज़नेस में फेल होने के बाद निराश होकर बैठ जाता, या एडिसन 999 असफल प्रयोग के बाद उम्मीद छोड़ देता और आईन्टाइन भी खुद को दिमागी कमजोर मान के बैठ जाता तो क्या होता?
हम बहुत सारी महान प्रतिभाओं और अविष्कारों से अंजान रह जाते |
तो मित्रों, असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है…..
असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है। किसी महापुरुष ने बात कही है कि –

“Winners never quit and quitters never win”

जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते
आज सभी लोग अपने भाग्य और परिस्थियों को कोसते हैं। अब जरा सोचिये अगर एडिसन भी खुद को अनलकी समझ कर प्रयास करना छोड़ देता तो दुनिया एक बहुत बड़े आविष्कार से वंचित रह जाती। आइंस्टीन भी अपने भाग्य और परिस्थियों को कोस सकता था लेकिन उसके ऐसा नहीं किया तो आप क्यों करते हैं।
अगर किसी काम में असफल हो भी गए हो तो क्या हुआ ये अंत तो नहीं है ना, फिर से कोशिश करो, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
मित्रों असफलता तो सफलता की एक शुरुआत है, इससे घबराना नहीं चाहिये बल्कि पूरे जोश के साथ फिर से प्रयास करना चाहिये..

3 Best Inspirational Motivational Stories in Hindi

इंसान की कीमत

एकबार एक टीचर क्लास में पढ़ा रहे थे| बच्चों को कुछ नया सिखाने के लिए टीचर ने जेब से 100 रुपये का एक नोट निकाला| अब बच्चों की तरफ वह नोट दिखाकर कहा – क्या आप लोग बता सकते हैं कि यह कितने रुपये का नोट है ?
सभी बच्चों ने कहा – “100 रुपये का”
टीचर – इस नोट को कौन कौन लेना चाहेगा ? सभी बच्चों ने हाथ खड़ा कर दिया|
अब उस टीचर ने उस नोट को मुट्ठी में बंद करके बुरी तरह मसला जिससे वह नोट बुरी तरह कुचल सा गया| अब टीचर ने फिर से बच्चों को नोट दिखाकर कहा कि अब यह नोट कुचल सा गया है अब इसे कौन लेना चाहेगा ?
सभी बच्चों ने फिर हाथ उठा दिया।
अब उस टीचर ने उस नोट को जमीन पर फेंका और अपने जूते से बुरी तरह कुचला| फिर टीचर ने नोट उठाकर फिर से बच्चों को दिखाया और पूछा कि अब इसे कौन लेना चाहेगा ?
सभी बच्चों ने फिर से हाथ उठा दिया|
अब टीचर ने कहा कि बच्चों आज मैंने तुमको एक बहुत बड़ा पढ़ाया है| ये 100 रुपये का नोट था, जब मैंने इसे हाथ से कुचला तो ये नोट कुचल गया लेकिन इसकी कीमत 100 रुपये ही रही, इसके बाद जब मैंने इसे जूते से मसला तो ये नोट गन्दा हो गया लेकिन फिर भी इसकी कीमत 100 रुपये ही रही|
ठीक वैसे ही इंसान की जो कीमत है और इंसान की जो काबिलियत है वो हमेशा वही रहती है| आपके ऊपर चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएँ, चाहें जितनी मुसीबतों की धूल आपके ऊपर गिरे लेकिन आपको अपनी कीमत नहीं गंवानी है| आप कल भी बेहतर थे और आज भी बेहतर हैं|

हाथी और रस्सी –

एक व्यक्ति रास्ते से गुजर रहा था कि तभी उसने देखा कि एक हाथी एक छोटे से लकड़ी के खूंटे से बंधा खड़ा था| व्यक्ति को देखकर बड़ी हैरानी हुई कि इतना विशाल हाथी एक पतली रस्सी के सहारे उस लकड़ी के खूंटे से बंधा हुआ है|
ये देखकर व्यक्ति को आश्चर्य भी हुआ और हंसी भी आयी| उस व्यक्ति ने हाथी के मालिक से कहा – अरे ये हाथी तो इतना विशाल है फिर इस पतली सी रस्सी और खूंटे से क्यों बंधा है ? ये चाहे तो एक झटके में इस रस्सी को तोड़ सकता है लेकिन ये फिर भी क्यों बंधा है ?
हाथी के मालिक ने व्यक्ति से कहा कि श्रीमान जब यह हाथी छोटा था मैंने उसी समय इसे रस्सी से बांधा था| उस समय इसने खूंटा उखाड़ने और रस्सी तोड़ने की पूरी कोशिश की लेकिन यह छोटा था इसलिए नाकाम रहा| इसने हजारों कोशिश कीं लेकिन जब इससे यह रस्सी नहीं टूटी तो हाथी को यह विश्वास हो गया कि यह रस्सी बहुत मजबूत है और यह उसे कभी नहीं तोड़ पायेगा इस तरह हाथी ने रस्सी तोड़ने की कोशिश ही खत्म कर दी|
आज यह हाथी इतना विशाल हो चुका है लेकिन इसके मन में आज भी यही विश्वास बना हुआ है कि यह रस्सी को नहीं तोड़ पायेगा इसलिए यह इसे तोड़ने की कभी कोशिश ही नहीं करता| इसलिए इतना विशाल होकर भी यह हाथी एक पतली सी रस्सी से बंधा है|
दोस्तों उस हाथी की तरह ही हम इंसानों में भी कई ऐसे विश्वास बन जाते हैं जिनसे हम कभी पार नहीं पा पाते| एकबार असफल होने के बाद हम ये मान लेते हैं कि अब हम सफल नहीं हो सकते और फिर हम कभी आगे बढ़ने की कोशिश ही नहीं करते और झूठे विश्वासों में बंधकर हाथी जैसी जिंदगी गुजार देते हैं|

हर काम अपने समय पर ही होता है

एकबार एक व्यक्ति भगवान् के दर्शन करने पर्वतों पर गया| जब पर्वत के शिखर पर पहुंचा तो उसे भगवान् के दर्शन हुए| वह व्यक्ति बड़ा खुश हुआ|
उसने भगवान से कहा – भगवान् लाखों साल आपके लिए कितने के बराबर हैं ?
भगवान ने कहा – केवल 1 मिनट के बराबर
फिर व्यक्ति ने कहा – भगवान् लाखों रुपये आपके लिए कितने के बराबर हैं ?
भगवान ने कहा – केवल 1 रुपये के बराबर
तो व्यक्ति ने कहा – तो भगवान क्या मुझे 1 रुपया दे सकते हैं ?
भगवान् मुस्कुरा के बोले – 1 मिनट रुको वत्स….हा हा
मित्रों, समय से पहले और नसीब से ज्यादा ना कभी किसी को मिला है और ना ही मिलेगा| हर काम अपने वक्त पर ही होता है| वक्त आने पर ही बीज से पौधा अंकुरित होता है, वक्त के साथ ही पेड़ बड़ा होता है, वक्त आने पर ही पेड़ पर फल लगेगा| तो दोस्तों जिंदगी में मेहनत करते रहो जब वक्त आएगा तो आपको फल जरूर मिलेगा|